करवाचौथ यानी वो त्योहार जिसका हर सुहागन ब्रेसबी से इंतजार करती है। दिनभर अन्न-जल त्याग कर जब रात को पत्नियाँ सज-सँवरकर, हाथों में पूजा की थाली लिए, थाली में करवा रख, छलनी से चाँद को निहार कर अपने पति के हाथों से पानी पीती हैं तो न केवल पत्नियों को उनके व्रत का प्रतिसाद मिलता है वरन यह क्षण पति-पत्नी के अटूट प्यार, समर्पण और त्याग की भावना को भी जीवन की शांत बगिया में फिर से महका देता है। यह तो हुई करवाचौथ पर्व की बात...। अब बात करते हैं उस साड़ी की जो पूजा के लिए पहनी जाती है, रत्न जड़ित आभूषणों की जिनसे स्त्रियाँ बनती-सँवरती हैं, उन फेशियल, हेयर स्टाइल और बॉडी स्पा की जिनसे वे दमकती-महकती हैं। ...और सोने-चाँदी-मोतियों से जड़ी पूजा की थाली, मेवे-मिष्ठान से सजी प्लेट और चाँद को निहारने की डिजाइनर छलनियों को कैसे भूला जा सकता है। इन सभी चीजों की कीमत आँकी जाए तो यकीनन गिनती लाखों में ही आएगी।
आधुनिकता के इस दौर में करवाचौथ भी आधुनिक हो गई है। इस पर्व का भी पूरजोर बाजारीकरण हो चुका है। कपड़ों, जेवरों और पूजा के थालों से ही नहीं इसके लिए होने वाले गेट-टू-गेदर कार्यक्रमों और इसके आयोजन स्थलों से ही इस त्योहार के राजसी ठाठ-बाठ और कमर्शलाइजेशन (बाजारवाद) की झलक साफ दिखाई देती है।
हजारों की हैं सोने-चाँदी की छलनियाँ May The Moon Light,
Flood Your Life With,
Happiness & Joy,
Peace & Harmony.
!!!Happy Karwa Chauth!!!
On This Blessed Night,
May The Jingling Of Churis,
Fill Your Life With Good Luck,
The Twinkling Of Payal,
Announce Your Love For Him,
!!!HAPPY KARWA CHAUTH!!!
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